ध्वनि प्रदूषण पर हाई कोर्ट सख्त, सभी मामलों की जांच राज्य समिति करेगी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर दाखिल जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि कोलाहल नियंत्रण अधिनियम के तहत गठित राज्य समिति ही सभी मामलों की जांच करेगी और निर्णय लेगी। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह में तय की है।

शादी और त्योहारों में डीजे का मुद्दा उठा

नागरिक संघर्ष समिति रायपुर और अन्य नागरिकों द्वारा दायर जनहित याचिका में शादी समारोहों और त्योहारों में तेज आवाज में बजाए जाने वाले डीजे के कारण उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण का मुद्दा उठाया गया था।

इस दौरान हाई कोर्ट ने एक छोटे बच्चे की ध्वनि प्रदूषण के कारण हुई मौत पर भी संज्ञान लिया और इस मामले को गंभीरता से जांचने के निर्देश दिए।

कोर्ट ने प्रशासन से की सख्त टिप्पणी

पिछली सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने कहा था कि ध्वनि प्रदूषण से संबंधित नियमों और आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है।

कोर्ट ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा, “आम आदमी न्याय के लिए कहां जाएगा? ऐसा लगता है कि कानून व्यवस्था खत्म हो गई है।” इसके अलावा, अदालत ने कहा कि डीजे बजाने पर लगे प्रतिबंधों का पालन नहीं किया जा रहा और अब भी डीजे बजाने की घटनाएं सामने आ रही हैं।

कलेक्टरों को दिए गए सख्त निर्देश

हाई कोर्ट ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया था कि वे ध्वनि प्रदूषण के नियमों को सख्ती से लागू करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई जिला कलेक्टर इन नियमों को लागू करने में लापरवाही बरतता है, तो इसे उनकी मंशा में कमी के रूप में देखा जाएगा। आदेश की प्रति सभी कलेक्टरों को भेजने के निर्देश भी दिए गए थे।

रायपुर में ध्वनि प्रदूषण की बढ़ती शिकायतें

रायपुर की सिंगापुर सिटी के पास रहने वाले अमित मल ने एक हस्तक्षेप याचिका दायर की थी। उन्होंने शिकायत में बताया कि मरीना क्लब में डांडिया कार्यक्रम के दौरान ध्वनि प्रदूषण हुआ, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसी तरह की कई अन्य याचिकाएं भी हाई कोर्ट में दायर की गई हैं।


 

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